लेखनी प्रतियोगिता -15-Sep-2022 मां धरती की सुनो पुकार

धरती की पुकार

मात धरती की सुनो पुकार,
रक्षा की करती दरकार।
दोहन करना कब छोड़ोगे,
धैर्य धरा का छूटे असार। 

धरा पर प्रकृति का चित्रण,
देख नयन ज्योति से भरते ।
वस्तु अमोलक देती रहती,
कब उसका हम मोल है भरते।

फल-फूल अथाह अन्न जल,
बिन मांगे ही हमको देती ,
आज आह कष्टों से भरती,
सहन नहीं अब कर है पाती।

मेरी प्यारे मुझे बचा लो ,
तत्क्षण थोड़े पेड़ लगा लो।
जंगल और वनों के रक्षक,
वसुधा का कुछ भार संभालो।
 
मैं डूबी तो तुम ना रहोगे 
नहीं  बचेगा सुखी संसार।
'अलका' की  करवद्ध प्रार्थना,
मात धरती की सुनो पुकार।
मात धरती की सुनो पुकार।

अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी' 
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित मौलिक व अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।

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9 Comments

Pratikhya Priyadarshini

16-Sep-2022 09:49 PM

Achha likha hai 💐

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Punam verma

16-Sep-2022 08:32 AM

Nice one mam

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Abhinav ji

16-Sep-2022 07:40 AM

Nice 👍👏

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